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कविता

कुरान

मुंशी रहमान खान


कुरान दीन का मूल है इबादत तरुवर जान।
रोजा शाखैं मानियो लिल्‍लाह फूल परमान।।
लिल्‍लाह फूल परमान करै फल जिन्‍नत पावै।
चलै कुरान मग छोड़ जो रब दोजक पहुँचावै।।
कहैं रहमान डरहु खालिक से छोड़हुँ झूठ तुफान।
पैहों सुख दुहुँ लोक महँ मानहुँ हुक्‍म कुरान।।

 


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